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"Chhod do mujhe"

आर्या डरी हुई थी। उस आदमी के करीब होने के कारण आर्या के मुंह से आवाज़ नहीं निकल रही थी।

उस आदमी की गर्म सांसें आर्या की गर्दन पर पड़ रही थीं जिससे आर्या को डर तो लग रहा था मगर ये नया अहसास उसे पागल भी कर रहा था।

आर्या की सांसें भारी होने लगी थीं। आर्या अपने निचले होंठ को दांत से दबाते हुए बोली, "प्लीज़ छोड़ दो मुझे, प्लीज़।"

वह आदमी आर्या की गर्दन को किस करते हुए उसके सीने को भी प्रेस कर रहा था। उसकी हरकतें बहुत वाइल्ड थीं। उस आदमी के होंठ धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगे। 

उसने आर्या के टॉप को इतना नीचे कर दिया था कि आर्या की ब्रा दिखने लगी। उस आदमी ने आर्या की ब्रा को धीरे से सहलाया, फिर अपने हाथ को आर्या की पीठ पर ले जाते हुए हुक ओपन कर दिया।

 आर्या लगभग बेहोशी की हालत में थी इसलिए उसे नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है।

आर्या के पैर लड़खड़ा रहे थे इसलिए वह आदमी आर्या की कमर को कसकर पकड़ लेता है। फिर उसने अपने दांत से आर्या की ब्रा को निकाल दिया।

"आह!" उस आदमी की गर्म सांसों को अपने सीने पर महसूस कर आर्या की आह निकल गई।

आर्या ने जब एकदम से अपनी आँखें बंद कर दीं तो उसे केवल अंधेरा ही अंधेरा नज़र आया। धीरे-धीरे वह उस अंधेरे में डूबने लगी थी। आर्या की आँखें धीरे-धीरे खुलती हैं। 

आर्या के सर में थोड़ा सा दर्द हुआ। अगले ही पल वह उठकर बैठ जाती है। उसने अंगड़ाई लेते हुए जैसे ही सामने देखा वह चिल्लाते हुए बोली, "व्हाट द हेल!"

आर्या ने देखा इस वक्त वह अपने रूम में है। उसने अपने कपड़े पहने हुए थे। उसने आसपास देखा मगर कहीं भी उसे वह आदमी नज़र नहीं आया।

आर्या हैरान होकर बोली, "कल रात तो मैं बार गई थी और किसी ने मुझे एक रूम में खींच लिया था। उसके बाद..." इतना कहते ही उसकी पकड़ बेडशीट पर कस जाती है।

 फिर वह दांत पीसकर बोली, "लेकिन मैं यहां कैसे पहुंची और वह आदमी कौन है? वह हर वक्त मेरे पास कैसे पहुंच जाता है?" कहते ही आर्या जल्दी से नीचे उतर जाती है। 

कुछ सोचकर वह रूम से बाहर चली गई। आर्या जब नीचे पहुंची तो उसने देखा उसके डैडी अभी भी नहीं आए हैं। आर्या विला के बाहर उस ड्राइवर को ढूंढ लेती है जिसके साथ कल बार गई थी।

आर्या उस ड्राइवर को देखते हुए बोली, "अंकल, कल हम बार से कैसे वापस आए? क्या आप मुझे लेकर आए थे?"

ड्राइवर परेशान होकर बोला, "मैडम, कल मैं आपको बहुत ढूंढा लेकिन आप मुझे कहीं नहीं मिली थी। हमने आपकी लोकेशन चेक की तो आप पहले ही विला आ चुकी थी। इसलिए मैं भी वापस आ गया, लेकिन आप किसके साथ आई थी? प्लीज़ आप मुझे बता दीजिए ताकि मैं सर को इन्फॉर्म कर सकूं।"

आर्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे इसलिए वह चुपचाप अपने रूम में चली जाती है। ड्राइवर को यह थोड़ा सा अजीब लगा पर वह भी कुछ नहीं बोला। 

कॉलेज के लिए रेडी होकर आर्या कॉलेज चली जाती है। जैसे ही वह क्लासरूम में बैठती है, क्लास का मॉनिटर सभी को बायोलॉजी का पेपर देने लगा। सभी बच्चे घबराए हुए थे। 

तभी सिया आर्या के कंधे पर मारकर बोली, "अरे मेरी रानी, तुम किन ख्यालों में खोई हो? ज़रा ध्यान दो आज एग्ज़ाम है। क्या तुमने पढ़ाई की है?"

 एग्ज़ाम के नाम से ही आर्या के होश उड़ गए। वह अपने सामने रखे पेपर को देखकर घबराते हुए बोली, "अरे मैं तो भूल गई थी। मैंने कुछ भी नहीं पढ़ा है और कल सर ने जो पढ़ाया था वह भी मुझे कुछ याद नहीं।" कहते ही आर्या अपने सर पर हाथ रख लेती है। 

इस वक्त वरदान क्लासरूम के अंदर एंटर करता है। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था।

 उसका एक हाथ जेब में था और दूसरे हाथ में उसने बायोलॉजी की बुक पकड़ी हुई थी। उसकी पर्सनैलिटी बहुत ही डरावनी लग रही थी।

जो स्टूडेंट अभी शोर कर रहे थे, वरदान को देखते ही शांत हो गए। वरदान बिना किसी भाव से बोला, "मैंने 10 क्वेश्चंस दिए हैं। उनके आंसर मुझे 10 मिनट के अंदर चाहिए।" 

सारे स्टूडेंट हैरान हो गए। एक स्टूडेंट बोला, "लेकिन प्रोफेसर..." वरदान अपना हाथ दिखाकर सख्त आवाज़ में बोला, "10 मिनट मींस 10 मिनट, नो आर्ग्युमेंट्स।"

आर्या दांत पीसते हुए अपने मन में बोली, "कितना खड़ूस प्रोफेसर है। पर्सनैलिटी तो देखो ऐसा लग रहा है जैसे कहीं का माफिया हो। कैसे अकड़ के बोल रहे हैं 10 क्वेश्चन हैं जिसे 10 मिनट में करना है। क्या यह खुद भी कर सकते हैं?" 

आर्या बहुत गुस्से में थी। वरदान अपनी वॉच को देखते हुए बिना भाव से बोला, "1 मिनट लेफ्ट।"

 सारे स्टूडेंट घबराते हुए अपना एग्ज़ाम देने लगे। पूरे क्लासरूम में अजीब सा सन्नाटा था। आर्या को कुछ भी नहीं आ रहा था।

आर्या अपनी आँखें बंद करती है और ध्यान से सोचते हुए लिखने लगी।

यह 10 मिनट बहुत जल्दी बीत जाते हैं। वरदान ने मॉनिटर की तरफ देखा तो वह जल्दी से सभी की आंसर शीट सबमिट करके वरदान के डेस्क पर रख देता है।

उसके बाद वरदान कुछ टॉपिक पढ़ाने के बाद वहां से चला जाता है। 

आर्या ज़िंदा लाश की तरह लग रही थी। उसने अपने सर को सिया के कंधे पर रख कर कहा, "मैं तो बर्बाद हो गई हूं। पता नहीं मेरा क्या होगा। मैंने कुछ भी नहीं लिखा था। मैंने सिर्फ एक ड्राइंग बनाई थी।" इतना कहते ही वह सिया को देखने लगी।

 सिया भी डर कर बोली, "मुझे भी ज़्यादा कुछ याद नहीं था। पता नहीं कितने आंसर आएंगे। कम से कम इतने तो आ ही जाएं कि सर मुझे क्लास से बाहर न निकालें।" 

पूरी क्लास सदमे में थी। इस वक्त सभी बहुत डरे हुए थे। सभी को लगा था रिजल्ट कल तक आएगा, लेकिन वरदान ने सारी कॉपी पहले ही चेक कर ली थी। आधे घंटे के अंदर सभी स्टूडेंट को उनकी आंसर शीट वापस कर दी गईं।

क्लास मॉनिटर क्लास के अंदर आते हुए आर्या को देखकर घबरा कर बोला, "आर्या, पूरी क्लास में तुम ही हो जिसे ज़ीरो मिला है। प्रोफेसर तुम्हें कैबिन में बुला रहे हैं।" 

आर्या दांत पीसते हुए मन में बोली, "मुझे उस गधे के पास नहीं जाना। कल ही तो पढ़ाया था और आज क्लास टेस्ट ले लिया। मैंने जो क्वेश्चंस दिए थे वह कितने ज्यादा टफ थे! "मैं डैडी से शिकायत करूंगी ताकि इसे भी गोली मार दें।" 

सिया आर्या के कंधे पर हाथ रखकर बोली, "जाओ, वरना प्रोफेसर के गुस्से को देखते हुए मैं यकीन के साथ कह सकती हूं अगर वह यहां तुम्हें लेने आए तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।" 

आर्या चुपचाप चली जाती है। कैबिन के सामने खड़े होकर आर्या ने गहरी सांस ली। फिर डोर को नॉक किया।

वरदान की भारी आवाज़ आर्या के कानों में पड़ी, "कम इन।"

आर्या गहरी सांस लेते हुए कैबिन के अंदर चली जाती है। उस वक्त वरदान अपने सर को नीचे करके एक बुक पढ़ रहा था। 

वह बहुत ही डोमिनेटिंग और खतरनाक लग रहा था, मगर आर्या थोड़ी बेचैन थी। वरदान की आवाज़ उसे डरा रही थी और किसी की याद दिला रही थी।

 वरदान ने अपनी आँखें ऊपर करके अपनी गहरी नज़रों से आर्या को ऊपर से नीचे तक देखा।

फिर वरदान उसकी आंसर शीट को टेबल पर पटकते हुए बिना भाव से बोला, "मिस आर्या, क्या एक ब्रिलिएंट स्टूडेंट ऐसा होता है?" इतना कहते ही वह सरकास्टिकली मुस्कुराते हुए आर्या को देखने लगा।

आर्या को याद आया कि प्रिंसिपल सर ने वरदान के सामने उसकी बहुत तारीफ की थी और उसे एक ब्रिलिएंट स्टूडेंट बताया था, मगर अब उसकी इमेज गिर गई थी। 

आर्या घबराती ज़रूर है, मगर हिम्मत करके बोली, "सर, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। आपने कल ही पढ़ाया था और आज क्लास टेस्ट ले लिया। आपने जो क्वेश्चंस दिए थे वह कितने ज़्यादा टफ थे।"

वरदान आँखों में गुस्सा लिए आर्या को देख रहा था। फिर दांत पीसकर बोला, "कोई मेरे साथ आर्ग्युमेंट करे मुझे पसंद नहीं।"

वरदान एक और शीट निकालकर आर्या को देता है। फिर बिना किसी भाव से बोला, "30 मिनट। तुम्हारे पास सिर्फ 30 मिनट हैं। 30 मिनट के अंदर तुम्हें 30 पेज इस कॉलेज के रूल्स लिखने हैं। अगर तुमने 30 मिनट के अंदर इसे कंप्लीट नहीं किया तो पनिशमेंट के तौर पर तुम्हें पूरे कॉलेज की सफाई करनी होगी। यही नहीं, एक महीने तक तुम मेरी क्लास में नहीं आ सकती।"

 आज तक किसी ने भी आर्या के साथ इस तरह बात नहीं की थी। रघुवीर जी हमेशा आर्या को प्यार करते थे। उन्होंने कभी भी आर्या को कभी मुश्किल का सामना नहीं करने दिया।

वरदान वह पहला इंसान था जो आर्या पर चिल्ला रहा था। आर्या अपनी मुट्ठी बंद कर लेती है और गुस्से से बोली, "मैं नहीं करूंगी। मैंने आपकी ये फालतू के रूल्स लिखने के लिए कॉलेज में एडमिशन नहीं लिया था और ना ही कॉलेज की सफाई करने के लिए।" इतना कहते ही वह गुस्से से अपना आंसर शीट उठाती है और कैबिन से बाहर चली गई। 

उसकी बदतमीज़ी को देखकर वरदान का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने अपना हाथ टेबल पर पटक दिया। 

फिर दांत पीसते हुए शैतानी अंदाज़ में बोला, "तुम्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।”

कंटिन्यू,,

आगे जानने के लिए बने रहे।

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